गुर्जरसमाज gujjar history

गुर्जरसमाज, प्राचीन एवं प्रतिष्ठित समाज में से एक है। यह समुदाय गुज्जर, गूजर, गोजर, गुर्जर, गूर्जर, गुजर, गुइजर्रो, चेचेन और वीर गुर्जर नामसे भी जाना जाता है।
 गुर्जर मुख्यत:उत्तरभारत,पाकिस्तान,अफ़्ग़ानिस्तान,ईरान,स्पेन,जॉर्जिया,तुर्की,,यूक्रेन और चेचन्या आदि देशों में पाए जाते हैं। इस जाति का नाम अफ़्ग़ानिस्तान के राष्ट्रगान में भी आता है। गुर्जरों के ऐतिहासिक प्रभाव के कारण उत्तर भारत और पाकिस्तान के बहुत से स्थान गुर्जर जाति के नाम पर रखे गए हैं, जैसे कि भारत का गुजरात राज्य,पाकिस्तानी पंजाब का गुजरात ज़िला और गुजराँवाला ज़िला और रावलपिंडी ज़िलेकागूजर ख़ानशहर, स्पेन के ग्रेनेडा सूबे में कई नगर गुर्जरो से सम्बंधित है उनमें एक गोजरनगर मुख्य है वही ईरान, तुर्की आदि देशों में भी गुर्जर नामसे सम्बंधित जगह पाई जाती है।आधुनिक स्थितिप्राचीन काल में युद्ध कला में निपुण रहे गुर्जरमुख्य रूप सेखेती और पशुपालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। गुर्जर अच्छे योद्धा माने जाते थे और इसीलिए भारतीय सेनामें अभी भी इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है। भारत मे गुर्जर की जनसंख्या लगभग 1.5 करोड की है। गुर्जरमहाराष्ट्र(जलगाँव जिला),दिल्ली,राजस्थान,हरियाणा,मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश,हिमाचल प्रदेश,जम्मू कश्मीर,उत्तराखंड,पंजाबराज्यों में फैले हुए हैं।गुर्जरहिन्दू,सिख,मुस्लिम,ईसाईआदि सभी धर्मो मे देखे जा सकते हैं।     

उत्पत्ति[1]गुर्जरमध्य एशिया के कॉकस क्षेत्र(अभी के आर्मेनिया और जॉर्जिया) से आए आर्यन योद्धा थे। ऐतिहासिक साक्ष्यो के अनुसार गुर्जरमध्य एशियाई जाती है जिसके प्रमाण आज भी दूर देशो में गुर्जर जाती के पाये जाने से प्राप्त होते हैं।गुर्जर शब्द मध्य एशिया में गुर शब्द से बना है जिसका अर्थ हून कबीले के पर्यायवाची के रूप में है हून का अर्थ कबीला होता है अतः गुर्जर का अर्थलड़ाकू कबीला होता है। संस्कृत के शब्द गुर्जर विनाशक की पुष्टि हो चुकी है कि ऐसा कोई गुर्जर का अर्थ संस्कृत में नहीं है। अतः गुर्जर शब्द का अर्थ लड़ाकू कबीला है जो की मध्य एशियाई शब्द है ओर हून शब्द का पर्यायवाची है।
प्राचीन महाकवि राजशेखर :ने गुर्जर नरेश महिपाल को अपने महाकाव्य में दहाड़ता गुर्जर कह कर सम्बोधित किया है।[7]कुछ इतिहासकार कुषाणों को गुर्जर बताते हैं तथा कनिष्क के रबातक शिलालेख पर अंकित 'गुसुर' को गुर्जर का ही एक रूप बताते हैं। उनका मानना है कि गुशुर या गुर्जर लोग विजेता के रूप में भारत में आये क्योंकि गुशुर का अर्थ 'उच्च कुलीन' होता है।[8].गुर्जर साम्राज्य इतिहास के अनुसार ५वी सदी में भीनमाल गुर्जर सम्राज्य की राजधानी थी तथा इसकी स्थापना गुर्जरो ने की थी।भरुचका सम्राज्य भी गुर्जरो के अधीन था। चीनी यात्री ह्वेन्सान्ग अपने लेखो मे गुर्जर सम्राज्य का उल्लेख करता है तथा इसे 'kiu-che-lo' बोलता है।    
छठी से 12वीं सदी: में गुर्जर कई जगह सत्ता में थे।गुर्जर-प्रतिहार वंशकी सत्ताकन्नौज से लेकरबिहार,उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्रऔर गुजरात तक फैली थी।मिहिरभोज को गुर्जर-प्रतिहार वंश का बड़ा शासक माना जाता है और इनकी लड़ाई बंगालके पाल वंश और दक्षिण-भारत के राष्ट्रकूट शासकों से होती रहती थी। 12वीं सदी के बाद प्रतिहार वंश का पतन होना शुरू हुआ और ये कई हिस्सों में बँट गए जैसे (चौहान, सोलंकी, चदीला)|
(9)अरब आक्रान्तो ने गुर्जरों की शक्ति तथा प्रशासन की अपने अभिलेखों में भूरि-भूरि प्रशंसा की है।[10]इतिहासकार बताते हैं कि मुगल काल से पहले तक लगभग पूरा राजस्थान तथा गुजरात, 'गुर्जरत्रा' (गुर्जरो से रक्षित देश) या गुर्जर-भूमि के नाम से जाना जाता था।(11)अरबलेखकों के अनुसार गुर्जर उनके सबसे भयंकर शत्रु थे। उन्होंने ये भी कहा है कि अगर गुर्जर नहीं होते तो वो भारत पर12वीं सदी से पहले ही अधिकार कर लेते।[10]१८वी सदी में भी गुर्जरो के कुछ छोटे छोटे राज्य थे। दादरी के गुर्जर राजा,दरगाही सिंहके अधीन १३३ ग्राम थे।मेरठ का राजागुर्जर नैन सिंहथा तथा उसने परिक्शित गढ का पुन्रनिर्माण करवाया था। भारत गजीटेयर के अनुसार१८५७ की क्रान्तिमे, गुर्जर तथा ब्रिटिश के बहुत बुरे दुश्मन साबित हुए/
1857 :गुर्जरो का1857की क्रान्ति मे भी अहम योगदान रहा है। कोतवाल धानसिंह गुर्जर1857की क्रान्ति का शहीद था।।
[12]पन्ना धायजैसी वीरांगना पैदा हुई, जिसने अपने बेटे चन्दन का बलिदान देकर उदय सिंहके प्राण बचाए|विजय सिंह पथिकजैसे क्रांतिकारी नेता हुए, जो राजा-महाराजा किसानो को लूटा करते थे, उनके खिलाफ आँदोलन चलाकर उन्होंने किसानो को मजबूत किया| मोतीराम बैसला जैसे पराक्रमि हुए जिन्होने मुगलो को आगरा मे ही रोक दिया |धन सिंह जी कोतवाल हुए, जिन्होंने सबसे पहले मेरठ में अंग्रेजों से लड़ने का विगुल बजाया, इस देश की रक्षा के लिए इसवीर गुर्जरजाति ने लाखो बच्चो की कुर्बानियाँ दी थी, अंग्रेजों की नाक में नकेल कसने वाले गुर्जरों को अंग्रेजों ने क्रिमिनल ट्राइब (यानी बदमाश समुदाय) :कह कर पुकारा था। इसलिए उस वक़्त अंग्रेज़ों की सरकार ने गुर्जरों को बागी घोषित कर दिया था, इसी वजह से गुर्जरजंगलों और पहाड़ों में रहने लगे और इसी वजह से गुर्जरपढाई-लिखाई से वंचित रह गये।[9].मुगल काल मे गुर्जर17वीं सदी की शुरुआत में, वास्तव में गुज्जरों की शुरुआत मुगल काल में मुगल सम्राट औरंगजेब की गिरावट थी। उस बिंदु पर समय के गुज्जरों की एक वृद्धि हुई शक्ति थी। अंत में औरंगजेब विभिन्न principalities में गुज्जर नेताओं का आधिपत्य स्वीकार किए जाते हैं।मुख्य गुज्जर की शक्ति मुगल युग का उल्लेख कर रहे हैं नीचे -*.भरतपुर जिला के गुर्जर*.पलवल और आगरा के बैसला (राजा मोतीराम बैसला)*.दादरी के भाटी (राव उमराव भाटी)*.Partikisatgarh मे नागर (राजा नैन सिंह)*.लंधोर के पंवार (कूम्बड्ड)*.गुर्जरगढ के जूदेव Gujjgar*.समथेर के गाजी खान*.बरोला के बैसोया ( सूखवीर बैसोया )गुर्जर और जाट सूरजमल जाट के समय में एक साथ खड़ा था। उनकी हत्या के बाद, अपने चौथे बेटे रणजीत सिंह और गुर्जर प्रमुख मोतीराम बैसला सुनडरोली, आगरा की संधि की एक संधि पर हस्ताक्षर किए। के रूप में सूरजमल अपने बेटे पर आगे ले गया था मोतीराम बैसला भरतपुर की सेना प्रमुख बने। 1803 CE, एक जिद्दी लड़ाई, बाद में गुज्जरों और जाटों पराजित रहे थे और इस प्रकार, भरतपुर जिले के तहत ब्रिटिश शासकों के एक छोटे इलाके के रूप में बने रहे।दवे के साथ साथ भाटी गूजर और काला गुज्जर के एक महान शरीर के दक्षिण दिल्ली कसना पर उनके सिर तिमाही के साथ यमुना नदी के दोनों किनारों पर बसे। भाटी गुर्जर 360 और बैसलो ने 280 गांवों पर कब्जा कर लिया। गूजर की शक्ति के बारे में दिल्ली दौर CE शेरशाह 1540 में महसूस किया है और वे उनके खिलाफ कार्यवाही जोरदार लगा। अकबर यह क्षेत्र बसा ये उपद्रवी गूजर की अनुमति दी। मृत्यु के बाद औरंगजेब दक्षिण की मराठा फ़ौज उत्तर लुट और गूजर फिर बाहों पर ले लिया। एक और भाटी गुर्जर प्रमुख अर्थात् राव Amra अनियंत्रित प्रमुख Bhurta कबीले का तख्ता पलट दिया और खुद दादरी में राजा के रूप में स्थापित किया था। जब ब्रिटिश क्षेत्र पर कब्जा कर लिया उसके उत्तराधिकारी राजा रोशन सिंह का हुक्म था।गाज़ी खान बलूच १७१० CE के बारे में के पास अपने नाम के बाद एक शहर डेरा गाज़ी खान की स्थापना की।गाज़ी खान बलूच व्यवस्थापक के रूप में नियुक्त किया गया था और उन्होंने खुद को एक महान प्रशासक के रूप में साबित कर दिया। महमूद खटाना उसकी गुर्जर सैन्य जायदाद के साथ सिंधु नदी को पार कर गया और पूरे क्षेत्र जिले के Mujjafargarh और फैसलाबाद उसकी कुल नियंत्रण के तहत होंगें लाया। वह डेरा गाज़ी ख़ान पर एक किले का निर्माण किया। ब्रिटिश गुर्जर घर ग्वालियर और इसके भिंड,Murena और धौलपुर और उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के एक हिस्से के जिलों के लिए एकीकृत क्षेत्र के कुछ भागों को कब्जे में लिया। हर गुर्जर गुर्जर घर में अपने ही क्षेत्र रखती है। महाराष्ट्र में गुज्जरों के पूर्वजों destroted और है कि क्यों वे दक्षिण में माइग्रेट किया गया था। वास्तव में गुज्जरों की एक उप-जाति Samshergarh के शासकों थे। वे खटाना उप-जाति के थे।लेकिन दुर्भाग्य से, इन राज्यों के अधिकांश और शक्तियों के गुज्जरों के ब्रिटिश शासकों के द्वारा समाप्त हो रहे थे।         by sourabh gujjar 

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